Aloe Vera Ki kheti | सिर्फ 50,000 की लागत से होगी 10 लाख तक की कमाई, जानिए एलो वेरा की खेती के बारे में

 Aloevera Farming - कोरोना संकट के बाद से ही देश दुनिया में आयुर्वेदिक और इम्युनिटी बढ़ाने वाले प्रोडक्ट की डिमांड में काफी तेजी आई है. बात चाहे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट की करें या आयुर्वेदिक दवा की, एलोवेरा का इन सभी में काफी इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि बाजार में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है.

Watch Video - सिर्फ 50,000 की लागत से होगी 10 लाख तक की कमाई | Aloe Vera Farming Business

एलोवेरा की खेती की सबसे अच्छी बात यह है कि आप सिर्फ एक बार पौधे लगाकर इससे 5 साल तक मुनाफा कमा सकते हैं. अगर बात एलोवेरा की खेती की करें तो करीब ₹50000 की लागत से आप साल भर में 10 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं. एलोवेरा का पौधा लगाने पर उससे अपने तीन या चार बेबी प्लांट निकलते हैं. इन बेबी प्लांट को अपने खेत में सही जगह पर लगाकर आप उससे भी अच्छी कमाई कर सकते हैं.

एलोवेरा नाम के इस गुणकारी पौधे में इतने स्वास्थ्य संबंधी फायदे मौजूद हैं कि लगभग हर ब्यूटी प्रोडक्ट कंपनी इससे जुड़े प्रोडक्ट बेचती है. देश में बहुत से लोग इन एलोवेरा प्रोडक्ट को खरीदकर इस्तेमाल भी करते हैं. एलोवेरा से जुड़े उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को काफी फायदा हो रहा है.

कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग पर जोर

कई कंपनियां तो एलो वेरा की कॉन्ट्रैक्ट खेती भी कराती हैं. यदि आप Aloe Vera की व्यवसायिक तरीके से खेती करें तो सालाना 8-10 लाख रुपये तक कमाई हो सकती है.

Aloe Vera क्या है?

लिलीएसी परिवार से संबंध रखने वाला एलोवेरा (Aloevera) कई साल चलने वाला एक पौधा है. एलो वेरा मूलरूप से फ्लोरिडा, मध्य अमेरिका, वेस्टइंटीज तथा एशिया महाद्वीप के कुछ देशों में उगाया जाता है. एलोवेरा का तना छोटा, पत्तियां हरी एवं मांसल होती है. एलो वेरा की पत्तियों से पीले रंग का तरल पदार्थ निकलता है. एलोवेरा भारत में विदेश से आया है, लेकिन बाद में यह देश के शुष्क इलाकों में बड़ी संख्या में पाया जाने लगा. यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा हरियाणा के सूखे हिस्सों में बड़ी संख्या में पाया जाता है.

पानी की जरूरत कम

एलोवेरा की खेती के लिए उष्ण जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. इसकी खेती आमतौर पर शुष्क क्षेत्र में न्यूनतम वर्षा और गर्म आर्द्र क्षेत्र में की जाती है. धूसर मिट्टी में एलो वेरा अच्छी पैदावार देता है. एलोवेरा का पौधा अत्यधिक ठंड की स्थिति में संवेदनशील होता है, इस दौरान खेती नहीं करनी चाहिए. एलो वेरा की खेती रेतीली से लेकर दोमट मिट्टी तक विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है.

एलोवेरा के पौधे कब लगाएं?

अच्छी पैदावार के लिए एलोवेरा के पौधे जुलाई-अगस्त में लगाना उचित रहता है. एलो वेरा की खेती सर्दियों के महीनों को छोडक़र पूरे साल की जा सकती है.आयुर्वेद के हिसाब से बात करें तो एलो वेरा चर्म रोग, पीलिया, खांसी, बुखार, पथरी, सांस आदि रोगों में काफी उपयोगी है.

Aloe Vera ki kheti kaise?

एलो वेरा की खेती के लिए सबसे पहले जमीन की जुताई करना चाहिए. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए खेत की अंतिम जुताई के दौरान 15-20 टन गोबर की खाद डालनी चाहिए. गोबर की खाद जितनी अधिक होगी, पैदावार उतनी अच्छी होगी.

कितनी मात्रा में बीज लगाएं?

एलोवेरा की पौध तैयार करने के लिए 6-8 के पौध से बिजाई करनी चाहिए. इसकी बिजाई 3-4 महीने पुराने चार-पांच पत्तों वाले कंदों के द्वारा की जा सकती है. एक एकड़ भूमि में 5000-10000 सकर्स की जरूरत हो सकती है. पौध की संख्या भूमि की उर्वरता और पौध से पौध की दूरी एवं कतार से कतार की दूरी पर निर्भर है.

एलोवेरा का बीज कहां से लें?

एलोईन और जेल उत्पादन की दृष्टि से नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक सोर्सेस द्वारा एलोवेरा की कई किस्म विकसित की गई हैं. सीमैप, लखनऊ ने भी aloe vera की उन्नत प्रजाति (अंकचा/एएल-1) विकसित की है. एलो वेरा की वाणिज्यिक खेती के लिए नए किसान नई किस्म के लिए इन संस्थानों से संपर्क कर सकते हैं.

कैसे लगाएं एलोवेरा के पौधे

एलोवेरा के पौधे लगाने के लिए खेत में खूड़ बनाए जाते हैं. एक मीटर में इसकी दो लाइन लगती हैं. फिर एक मीटर जगह खाली छोड़कर एक मीटर में दो लाइन लगानी चाहिए. पुराने पौधे के पास से छोटे पौधे निकालने के बाद पौधे के चारों तरफ जमीन की मिट्टी को अच्छी तरह दबा देना चाहिए. खेत में पुराने पौधों से बारिश में कुछ छोटे पौधे निकलने लगते हैं, इन्हें जड़ सहित निकालकर खेत में पौधारोपण के लिए काम में लिया जा सकता है. एलो वेरा की रोपाई करते समय इसकी नाली और डोली में 40 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए. एलो वेरा का रोपण घनत्व 50,000 प्रति हेक्टेयर होना चाहिए और दूरी 40 गुणा 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए.

पानी और देखभाल की चिंता नहीं

एलोवेरा को कम पानी की जरूरत होती है, इसलिए ये आसानी से उग जाते हैं. एलोवेरा के पौधे में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. अधिक पानी से इसकी जड़ें सड़ जाती है और पौधा मर जाता है. इसकी सिंचाई में इस बात का ध्यान रखें. सामान्य मौसम में सप्ताह में एक बार और सर्दियों में इससे कम पानी देना इसके लिए अच्छा रहता है.

पहली फसल कब तैयार होगी?

पहली फसल एक साल बाद तैयार हो जाती है जिसके बाद तीन चार महीने में ही इसकी कटाई करते रहना चाहिए. कटाई के लिए धारदार हंसिये का उपयोग करना चाहिए.

एक एकड़ में कितनी फसल?

यदि एक एकड़ में एलोवेरा की खेती की जाए तो हर साल तकरीबन 20,000 किलो एलोवेरा का उत्पादन हो सकता है.

एलोवेरा से कमाई

एलोवेरा की ताजी पत्तियों को बेचने पर छह रुपये प्रति किलोग्राम का भाव मिल जाता है. इसे आप आयुर्वेदिक दवाई बनाने वाली कंपनियों या सौन्दर्य प्रसाधन निर्माता कंपनियों को बेच सकते हैं. कांट्रैक्ट फार्मिंग इसकी खेती के लिए बेहतरीन ऑप्शन है. एलोवेरा का पल्प निकालक बेचें तो यह 16-18 रुपये प्रति किलो तक बिकता है.

Post a Comment

0 Comments