भारत में बकरी पालन का व्यवसाय अभी तेजी से बढ रहा है। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जो कम लागत में अधिक मुनाफा देता है। गरीब वर्ग के लोगों के लिए बकरी पालन का व्यवसाय आय का मुख्य साधन भी बनता जा रहा है। इस वीडियो में हम आपको भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली बकरी की नस्लों के बारे में पूरी जानकारी देंगे। अगर आप बकरी पालन का व्यवसाय दूध उत्पादन के लिए कर रहे हैं, तो आपके लिए यह लेख बहुत खास होने वाला है।
Watch Video - दुनिया की 10 सबसे ज्यादा दूध देने वाली बकरी की नस्लें | Top 10 Highest Milking Goats
सानेन बकरी।
दुनिया में सबसे ज्यादा दूध देने वाली बकरी की नस्ल सानेन बकरी है। आज ये बकरियां दुनिया भर में पाई जाती हैं, लेकिन उनका सबसे अधिक प्रजनन और पालन यूरोप, उत्तरी अमेरिका, और ऑस्ट्रेलिया में होता है। भारत में सानेन बकरी का प्रजनन और पालन मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और पंजाब राज्यों में किया जाता है। इन राज्यों में, सानेन बकरी को स्थानीय नस्लों के साथ क्रॉस-ब्रीड करके दूध उत्पादन क्षमता बढाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह बकरी प्रतिदिन औसतन दस से बारह किलो दूध देती है। कुछ बकरियां तो प्रतिदिन पंद्रह किलो तक भी दूध देती हैं।
जखराना बकरी।
जखराना बकरी की नस्ल दूध उत्पादन देने में सभी राज्यों में अव्वल है। जखराना बकरी का पालन हरियाणा राज्य के निकट जिलों के गांव में किया जाता है। यह बकरी प्रतिदिन ढाई से तीन लीटर तक दूध देती है। इसी कारण से अन्य राज्यों के बकरीपालक भी जखराना बकरी का पालन करने लगे। ताकि दूध उत्पादन से अच्छा लाभ कमाया जा सके। जखराना बकरी की नस्ल पूर्वी राजस्थान और उत्तर-पश्चिम के आर्द्ध शुष्क एवं शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। यह बकरी मुख्य रूप से राजस्थान के अलवर जिले के जखराना गाव से हैं। यहीं से इस बकरी का नाम जखराना रखा गया है। इस नस्ल की बकरियों का आकार बडा, शरीर का रंग काला और कान व मुंह पर सफेद धब्बे होते हैं। जखराना नस्ल की बकरियों को मुख्य रूप से दूध उत्पादन और बकरों को मांस उत्पादन के लिए पाला जाता है।
जमुनापारी बकरी।
जमुनापारी बकरी भारत की सबसे प्रसिद्ध डेयरी बकरी की नस्ल है। यह नस्ल उत्तर प्रदेश में जमुना नदी के किनारे विकसित हुई है। जमुनापारी बकरियां आमतौर पर गहरे भूरे रंग की होती हैं और उनके लंबे, पतले सींग होते हैं। ये बकरियां दूध उत्पादन के लिए बहुत अच्छी होती हैं और प्रतिदिन औसतन दो से तीन लीटर दूध देती हैं।
बरबरी बकरी।
बरबरी बकरी एक मध्यम आकार की बकरी है जो उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण पश्चिम एशिया की मूल निवासी है। यह एक बहुमुखी नस्ल है जिसे दूध, मांस और खाल के लिए पाला जाता है। बरबरी बकरियां आमतौर पर गहरे भूरे या काले रंग की होती हैं और उनके सींग छोटे, सीधे होते हैं। बरबरी बकरी का वजन पच्चीस से पैंतीस किलोग्राम और बकरे का वजन पैंतीस से पैंतालीस किलोग्राम तक होता है। ये बकरियां दूध उत्पादन के लिए अच्छी होती हैं और प्रतिदिन औसतन एक से दो लीटर दूध देती हैं। दूध का स्वाद हल्का और खुशबूदार होता है. बरबरी बकरियाँ मांस के लिए भी अच्छी होती हैं। इनका मांस आमतौर पर नरम और स्वादिष्ट होता है। बरबरी बकरियां एक अच्छी तरह से अनुकूलित नस्ल हैं जो विभिन्न प्रकार की जलवायु और आवासों में रह सकती हैं। वे स्वस्थ और रोग प्रतिरोधी भी हैं।
बीटल बकरी।
बीटल बकरी की नस्ल पंजाब के गुरदासपुर, फिरोजाबाद और अमृतसर के क्षेत्रों में पाली जाती हैं। बकरी का पालन मांस और दूध दोनों के लिए किया जाता है। बीटल बकरी बारह से अठारह महीने के बीच में पहली बार बच्चे को जन्म देती हैं। बीटल बकरी अन्य बकरियों की तुलना में बडी और लंबी होती है। इसका रंग मुख्य रूप से काला होता है, कुछ बकरियों में सफेद और भूरा रंग भी पाया जाता है। बीटल नर बकरी का वजन पचास से सत्तर किलोग्राम और मादा बकरी का वजन चालीस से साठ किलोग्राम तक होता है। बीटल बकरी एक दिन में डेढ से चार लीटर तक दूध देती हैं। भारत में बीटल बकरी की कीमत नौ हजार से लेकर पच्चीस हजार रुपए तक होती है।
सिरोही बकरी।
सिरोही बकरी भारत की एक और प्रसिद्ध डेयरी बकरी की नस्ल है। इस नस्ल का विकास राजस्थान के सिरोही जिले में हुआ है। सिरोही बकरियां आमतौर पर गहरे भूरे या काले रंग की होती हैं और उनके सींग छोटे, घुमावदार होते हैं। ये बकरियां दूध उत्पादन के लिए बहुत अच्छी होती हैं और प्रतिदिन औसतन दो से तीन लीटर दूध देती हैं। सिरोही बकरी का दूध उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसमें वसा और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इस दूध का उपयोग दही, पनीर और अन्य डेयरी उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। सिरोही बकरियां एक अच्छी तरह से अनुकूलित नस्ल है जो विभिन्न प्रकार की जलवायु और आवास में रह सकती है। वे स्वस्थ और रोग प्रतिरोधी भी हैं। सिरोही बकरियों को दूध के अलावा उनके मांस के लिए भी पाला जाता है। इनका मांस आमतौर पर नरम और स्वादिष्ट होता है।
ब्लैक बंगाल बकरी।
ब्लैक बंगाल बकरी को दक्षिण और पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, मेघालय, त्रिपुरा और असम में पाला जाता है। यह बकरी छोटे पैरों वाली काले रंग की होती है, जिसके शरीर पर छोटे चमकदार बाल होते हैं। इस नस्ल को मांस उत्पादन के लिए पाला जाता है। इस नस्ल के नर बकरे का वजन करीब अठारह से बीस किलो और मादा बकरी का वजन पंद्रह से अठारह किलो होता है। ब्लैक बंगाल बकरियों के दूध उत्पादन की बात करें तो यह बकरी तीन से चार महीने तक प्रतिदिन दो से तीन लीटर दूध का उत्पादन कर सकती है।
ओस्मानाबादी बकरी।
इस नस्ल की बकरियां महाराष्ट्र के उस्मानाबाद, अहमद नगर, परभणी और सोलापुर जिलों में पाली जाती हैं। इस नस्ल को विशेष रूप से मांस के लिए पाला जाता है, काले रंग की यह बकरी साल में दो बार बच्चों को जन्म देती है। उस्मानाबाद बकरियां आकार में मध्यम से थोडी बडी होती हैं, और कोट का रंग भिन्न होता है, लेकिन अधिकांश उस्मानाबादी बकरियां काली कोट वाली होती हैं। हालांकि इस पर सफेद, भूरा या धब्बेदार रंग भी देखा जा सकता है। इसके कान और टांगे आकार में लंबी होती हैं और यह बकरी दिखने में भी बेहद खूबसूरत दिखती है। अन्य बकरियों की तुलना में इस बकरी का गर्भकाल पांच माह का होता है तथा यह लगभग चार माह के दुग्धकाल में दो से तीन लीटर दूध देती है।
सोजत बकरी।
आपको जानकारी के लिए बता दे की इन दिनों सोजत, करोली और गुजरी नस्ल की बकरियों को पशुपालक बडे पैमाने पर पाल रहे है,इसको रजिस्टैर्ड ब्रीड की लिस्टि में शामिल किया गया है.यह बकरिया राजस्थान में पायी जाती है। यह जमनापारी की तरह से सफेद रंग की बडे आकार वाली नस्ल की बकरी है,लेकिन इस नस्ल की बकरी दिनभर में एक लीटर तक दूध देती है. सोजत नस्ल राजस्थान की अन्य मौजूदा नस्लों से काफी अलग है। इस नस्ल में कुछ अनूठी विशेषताए हैं जो पूरे देशभर के बकरी पालकों द्वारा पसंद की जाती हैं। बकरीद के दौरान इस नस्ल के बकरों का मूल्य अच्छा मिलता है क्योंकि यह अन्य बकरियों की नस्लों में सबसे सुन्दर नस्ल की बकरी है।
करोली नस्ल की बकरी।
करोली नस्ल की बकरियों का पालन किसान बडे पैमाने पर कर रहे है.यह प्रतिदिन डेढ लीटर तक दूध देती हैं. इसका पूरा शरीर काले रंग का होता है. सिर्फ चारों पैरो के नीचे का हिस्सा भूरे रंग का होता है. इसकी एक खास बात यह भी है कि सिर्फ मैदान और जंगलों में चरने पर ही यह वजन के मामले में अच्छा रिजल्ट देती है. इस नस्ल की बकरी की कीमत भी पहली ब्यात पर पंद्रह से बीस हजार रुपये होती है.
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